जब आनंद जी से पहली बार मिला था तब मेरे सामने एक सहज-सरल परंतु अत्यंत ही ऊर्जादायक व्यक्ति मुख पर एक आत्मिक मुस्कान लिए हुए खड़े थे । जिस संघ सरिता का शाश्वत प्रवाह ही आज युग प्रवाह है उस प्रवाह के जीवंत प्रतिनिधि हैं अपने आनंद जी । उनके साथ जीया हुआ प्रत्येक पल एक लर्निंग लेसन ही है । एक दीर्घ काल प्रवाह आनंद जी के साथ बिता है और ये प्रवाह अभी निरंतर अपनी गति में है । कार्य को पूर्ण समर्पण से अतिउत्तम व सिद्ध रूप से करने का हठ तो दूसरी ओर कार्यकर्ताओं की संभाल करने वाले व्यक्तित्व के रूप में अपने आनंद जी की एक विशिष्ट पहचान है । जटिल से जटिल विषयों को अत्याधिक सहजता से समझाने में गुणी अपने आनंद जी ही मेरे जैसे अनेकों के अध्ययन व संगठन प्रवास के सारथी भी हैं । युवाओं के लिए एक अत्यंत तपस्वी जीवन के रूप में स्थापित व्यक्तित्व हैं अपने “आनंद जी भाईसाहब” ! कोई उनसे दूर नहीं । किसी भी व्यक्ति की कमियों को नहीं अपितु उनके भीतर निहित गुणों को उभारकर उस व्यक्ति को समाजोपयोगी बनाना ही अपने आनंद जी की प्रखरतम मेधा है । आनंद जी का जीवन मुझ जैसे अनेकों युवाओं, स्वयंसेवकों के लिए एक आदर्श जीवन है । आनंद जी का जन्मदिवस आज उन गुणों को अपने भीतर उकेरने के संकल्प को मूर्त रूप देने का भी एक शुभ दिन है । समाज के प्रति आनंद जी का समर्पण दिन प्रतिदिन और अधिक प्रखर हो यही सर्वशक्तिमान से प्रार्थना 🙏 है !

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